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आचार्य पद रजत महोत्सव की नाकोडा भैरव दर्शन धाम महातीर्थ की धन्यधरा पर भव्यातिभव्य उजवणी सम्पन्न

आचार्य पद रजत महोत्सव की नाकोडा भैरव दर्शन धाम महातीर्थ की धन्यधरा पर भव्यातिभव्य उजवणी सम्पन्न

राष्ट्रसंत चंद्रानन के नेतृत्व में शुरू हुआ पर्यावरण संरक्षण अभियान

मुंबई: दिनांक 13 फरवरी 2022 को राष्ट्रसंतजन-जन की आस्था एवं श्रद्धा के केन्द्रमुंबई महानगर में 127 से भी अधिक जिनालयों के प्रतिष्ठाचार्यश्री नाकोड़ा भैरव दर्शन धाम महातीर्थ के संस्थापक परम पूज्य आचार्यश्री चन्द्राननसागर सूरीश्वरजी म.सा. के आचार्य पदारोहण का रजत महोत्सव हजारों धर्मप्रेमी गुरुभक्तों की उपस्थिति मे भव्यातिभव्य सम्पन्न हुआ। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अभिनव अभियान की शुरुआत करते हुए 24 तीर्थंकरों तथा गच्छाधिपति दर्शनसागर सूरीश्वरजी के नाम पर वृक्षारोपण किया गयानाकोडा धाम के प्रवेश द्वार से हजारों गुरूभक्तो ने पूज्यश्री को डोली मे विराजमान करके रंगमंडप में सुसज्जित पाट तक झूमते-नाचते हुए आचार्य पद रजत महोत्सव की उजवणी का आगाज किया। इस अवसर पर विशेष रूप से पूज्यश्री के 25 वर्षो पूर्व के अपने अभिग्रह को याद दिलाते हुए भक्तो को मुंबई में कॉलेज की नींव रखने का आह्वान किया और शासन एवं समाज हित मे सदैव समर्पित रहने का संदेश दिया। इस मौके पर भाजपा मुम्बई प्रदेश अध्यक्ष मंगलप्रभातजी लोढापूर्व  विधायक राज के पुरोहितजीविधायक रविन्द्रजी फाटकसेलो ग्रुप के चेयरमेन प्रदीपजी बदामियाआकाश राज पुरोहितजी मेवाड मूर्तिपूजक संघ मुम्बई के अध्यक्ष रमेशजी पामेचाओमप्रकाशजी मेहता विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थेसमारोह में राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार द्वारा लिखित आचार्य चंद्राननसागरसूरिजी के सामाजिक कार्यो का विवरण पुस्तिका का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। साथ ही ज्योति मुणोत के संयोजन में पधारे हुए अतिथियों के कर कमलो से पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्षारोपण किया गया। विदित हो कि पालघर जिले के आदिवासी समुदाय में वृक्षारोपणपर्यावरणजल संरक्षणरोजगारपरक प्रक्षिक्षण व नशामुक्ति हेतु जागरूकता अभियान जैसे अभिनव कार्य तथा साध्वीश्री कल्पिताश्रीजी व चारुताश्रीजी के मार्गदर्शन में आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण व कौशल्य विकास की दिशा में भी अभियान चल रहा है। राष्ट्रसंत आचार्य चंद्रानन सागरजी की पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यापक पैमाने पर वृक्षारोपण के अलावा आदिवासी कल्याण की इस मुहिम के तहत वहां पर जल संरक्षण के क्षेत्र में भी कुछ योजनाओं पर तैयारी चल रही है।


इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनने हेतु हजारों गुरुभक्तों सहित  पूज्यश्री के साथ मुनिश्री हरिशचंद्रसागरजी म.सा., मुनिश्री पुष्पचंद्रसागरजी म.सा.मुनिश्री कैवलपूर्णविजयजी म.सा.मुनिश्री मननचंद्रसागरजी म.सा. आदि ठाणा एवं साध्वीश्री कल्पिताश्रीजी म.सा.साध्वीश्री चारूताश्रीजी म.सा.साध्वीश्री आशिताश्रीजी म.सा.साध्वीश्री रिशिताश्रीजी म.सा. ने भी गुरुभक्ति का अवलोकन किया। कार्यक्रम के लाभार्थी श्रीमती शकुंतलादेवी पुखराजजी प्रेमचंदजी चौहान परिवार हस्ते श्रीमती रेखाबेन कांतीलालजी शाहतखतगढ/मुम्बई (अंसा ज्वेलर्स प्रा. लि. मुम्बई) एवं मातुश्री मदनबेन ज्योतिचंदजी तेलीसरा हस्ते श्रीमती मालाबेन दिनेशजी तेलीसरा परिवार ने लिया। कार्यक्रम का संचालक ओमजी आचार्य- फालना एवं संगीतकार नरेन्द्र वाणीगोता (निराला) ने सुंदर भक्ति गीतों से माहौल को गुरुमय कर दिया। कार्यक्रम समापन के साथ आगामी महामांगलिक 3 मार्च 2022 को नाकोडा धाम के परिसर में होने की घोषणा की गई|

पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्यरत श्रीमती मुणोत ने कहा कि प्रकृति और संत एक समान होते हैं| ये सिर्फ देना ही जानते हैं| वृक्ष प्रकृति द्वारा प्राप्त अनमोल उपहार है| हम मनुष्य तो सामान्य सी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में अपना हौसला खो देते हैं लेकिन वृक्ष आंधी-तूफान और सूखे का सामना करते हैं और अडिग खड़े रहते हैं। पेड़ की जड़तनाशाखाएंपत्तियांफूलफल भी उपयोगी होता है। यानि यूँ कहे कि वृक्ष का प्रत्येक भाग काम आता है। यहां तक की हम श्वास द्वारा जो विषैली हवा बाहर निकालते हैंउन्हें वृक्ष स्वच्छ कर स्वास्थ्यवर्धक हवा हमे प्रदान करते हैं। हर सामाजिकधार्मिक कार्यों में वृक्ष की आवश्यकता होती है और मरणोपरांत भी| आज इस अरिहंत वाटिका में 24 तीर्थंकर एवं 1 दादा गुरुदेव के नाम पर वृक्षारोपण किया गया है और साथ ही पर्यावरण बचाने हेतु प्राचीन सभ्यतासंस्कृति एवं संरक्षण पर भी चर्चा की है।

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