पाली. सर्दी में पशुओं की देखभाल बेहतर नहीं होने पर वे बीमार हो सकते है। सर्दी शुरू होते ही पशुओं में प्रजनन व ऋतुचक्र (ताव) में आने की शुरुआत होती है। इसके साथ तेज सर्दी पडऩे पर पशुओं में शीत तनाव या शीत तापघात हो सकता है। पशुपालक की थोड़ी सी लापरवाही से पशुओं की उत्पादक क्षमता व शारीरिक क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। पशुओं को खांसी-जुकाम के साथ निमोनिया हो सकता है। शीत तापघात में पशु के शरीर का तापमान सामान्य शारीरिक तापतान (गायों में 101 डिग्री एफ. व भैंस में 101.5 डिग्री एफ.) के बहुत अधिक नीचे चला जाता है। पशु का शरीर बर्फ के समान ठंडा हो जाता है। शरीर के अंग कार्य करना बंद कर देते हैं। पशु बाड़े व वृक्ष की ओट में दुबकता है। ऐसे में तुरन्त उपचार नहीं कराने पर पशु की मौत भी हो सकती है। बचाव के उपाय सर्दी में हवा उत्तर दिशा से चलती है। इसलिए पशुओं को उत्तर दिशा में नहीं रखना चाहिए। उत्तर दिशा की ओर से खुले भाग को बोरे या टाट से ढक देना चाहिए। अच्छी धूप के लिए बाड़े या पशु बांधने के स्थल पर दक्षिण-पूर्व दिशा को खुला रखना चाहिए। पशुओं को रखने के स्थान पर नमी व सीलन नहीं रहनी चा