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Showing posts from November 15, 2015

भिवंडी में आयोजित उपधान तप की मोक्षमाला 19 दिसंबर को

भिवंडी/गोडवाड ज्योती: वैसे तो व्यावसायिक तौर पर भिवंडी पॉवरलूम शहर के नाम से जाना जाता है पर बात अगर धर्म की हो तो यहाँ से अब तक सैकड़ो युवा मुमुक्षुओं ने  दिक्षा लेकर जिनशासन का दीया समस्त जग में प्रज्वलित किया है। यहाँ का धर्ममय वातावरण गुरु-भगवंतो के सानिध्य और पाठशाला के प्रभाव से धार्मिक संस्कार बालवस्था से ऐसे रज-बस जाते हैं कि हर वर्ष यहाँ से दीक्षाऐ सहज हो रही है। पर जिनका पुण्योदय इतना प्रबल नही है, वे मोक्षमाला यानि उपधान तप द्वारा संयम जीवन के रस को चखने का अवसर पाकर प्रफुल्लित हो जाते हैं। ऐसा ही एक अवसर शत्रुंजय धाम-भिवंडी में आयोजित हुआ जहाँ 31 अक्टुम्बर को उपधान प्रवेश में बड़ी संख्या में आराधक जुड़े और भावविभोर होकर तप-जप और अनुष्ठान में लीन होकर प्रभु भक्ति कर रहे हैं। जिन बच्चों को कम समय उपलब्ध था, वे अढारिया में जुड़कर धर्मक्रिया कर रहे है। उपधान की नीवी में तपस्वियों के चेहरे की ख़ुशी देख जो प्रसन्नता मिलती है उसका श्रेय उनके उत्तम भाव, उत्तम व्यवस्था, उत्तम सहयोग,  सभी की सरलता और आचार्य भगवंत के सानिध्य को जाता है| वे स्वयं 2.5 घंटे खड़े होकर तपस्वियों की निवि इत्

केसर पूजा के लिए केमिकल वाली केसर-गोलियों के उपयोग से हो रहा है प्रतिमाओं को नुकसानदायक

सुरत/गोडवाड ज्योती: जैन धर्म में भगवन की केसर पूजा के लिए उत्तम से उत्तम द्रव्य के उपयोग का विधान है इसीलिए प्राकृतिक रूप से प्राप्त उत्तम केसर, चन्दन व कपूर को प्राकृतिक रूप में ही घोटकर भगवान की प्रतिमा को पूजा करने की प्राचीन प्रथा चली आ रही है। पर अब आधुनिकता और बाजारीकरण की मार मूक रूप से दबे पांव मंदिरो के जिनबिम्बो पर प्रतिकूल असर दिखा रही है। चीन और भारत की कई संस्थाओ ने केसर घोटने के लिए तीर्थस्थानों व पर्वतिथि पर भीड़ और कतार से मुक्ति का प्रलोभन देकर रेडीमेड इंस्टेंट केसर गोलियों को बाजार में न केवल उतारा बल्कि धडल्ले से इसकी बिक्री भी कर रही है। विडम्बना ये है कि भक्त भी बिना किसी जाँच-पड़ताल या सोचे-समझे इन केसर की गोलियों से पूजा कर रहे हैं, जिसकी वजह से प्रतिमाओ को भारी नुकसान हो रहा है। दरअसल इन गोलियों रासायनिक तत्व मिले हैं, जो उच्च संगमरमर से बनी प्रतिमाओ में छेद या रंग भेद हो रहा है। पहले श्रावक स्वद्रव्य से केसर, चन्दन, स्वच्छ ताजे फल-फूल-नेवैद्य से प्रभुपूजा आदि होती थी किन्तु पिछले कुछ वर्षो में आधुनिकता ने समय को समेट लिया है| नतीजा अधिकतर मंदिरो में केसर घोट

राष्ट्रसंत आचार्यश्री चन्द्राननसागर सुरिश्वरजी म.सा. की निश्रा में श्री नाकोड़ा भैरव दर्शन धाम महातीर्थ में पोष दशमी अट्ठ्म तप की भव्य आराधना 3 जनवरी से

   मुंबई/गोडवाड ज्योती: महानगर मुंबई के प्रवेश द्वार पर पहाड़ियों के मध्य प्राकृतिक सौंदर्य से प्रकट प्रभावी श्री नाकोड़ा भैरव दर्शन धाम महातीर्थ के पावन प्रांगण एवं प.पू. गच्छाधिपति दादा गुरुदेव श्री दर्शनसागर समुदाय के संगठन प्रेमी प.पू. आचार्यश्री नित्योदयसागर सुरिश्वरजी म.सा. के दिव्याशीर्वाद से जाप-ध्यान-निष्ठ , जन-जन   के आस्था के केंद्र श्री नाकोड़ा भैरव दर्शन धाम महातीर्थ के प्रेरक राष्ट्रसंत प.पू. आचार्यश्री चन्द्राननसागर सुरिश्वरजी म.सा. आदि ठाणा एवं प.पु. विदुषी साध्वीश्री कल्पिताश्रीजी म.सा. , प. पू साध्वीश्री चारुताश्रीजी म.सा. (बेन महाराज) आदि ठाणा की पावन निश्रा में पोष दशमी अट्ठ्म तप की भव्य आराधना का आयोजन 2 जनवरी 2016 से प्रारंभ होकर 6 जनवरी 2016 को सम्पन्न होगा | तप आराधना का शुभारंभ 2 जनवरी 2016 को अत्तर पारणा के साथ किया जायेगा| तत्पश्चात अट्ठ्म तप की आराधना दिनांक 3,4,5 जनवरी 2016 तथा तपस्वियों का मंगल पारणा 6 जनवरी को होगा | इस अट्ठ्म तप के सम्पूर्ण लाभार्थी मातुश्री दिवालीबाई हुकमीचंदजी सोलंकी परिवार  शिवगंज/लालबाग निवासी हैं |                           

श्री नाकोड़ा पार्श्व भैरव सेवा संस्थान द्वारा अट्ठ्म तप आराधना एवं पंचतीर्थी यात्रा प्रवास का आयोजन 1 जनवरी को

मुंबई/गोडवाड ज्योती: प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्वविख्यात श्री नाकोड़ा पार्श्व भैरव सेवा संस्थान के तत्वावधान में श्री पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक प्रसंग पर श्री नाकोड़ाजी महातीर्थ पर अट्ठ्म तप आराधना एवं पंचतीर्थी यात्रा प्रवास का आयोजन किया गया गया है| सात दिवसीय यह यात्रा प्रवास 1 जनवरी 2016 से 7 जनवरी 2016 में आयोजित होगा, जिसके तहत अट्ठ्म तप की आराधना दिनांक 3,4,5 जनवरी तथा तपस्वियों का पारणा 6 जनवरी 2016 को होगा| यात्रा प्रवास की अधिक जानकारी हेतु संस्थापक अध्यक्ष श्री रणवीरजी ए. गेमावत , गिरीश एस. मेहता- 08108884422, श्री विक्रमजी बी. राठौड़- 09819023862, श्री जीतूजी रांका- 08097723818 से संपर्क करें| 

मातृह्रदया साध्वीश्री कोमललताश्रीजी म.सा. की गुणानुवाद सभा संपन्न

मुंबई / गोडवाड ज्योती : प . पु . गच्छाधिपति राष्ट्रसंत जैनाचार्य श्रीमद विजय जयंतसेन सुरिश्वरजी म . सा . की आज्ञानुवर्तीनी मातृह्र्दया प . पु . साध्वीश्री कोमललताश्रीजी म . सा . का दिनांक 16/10/2015 को राजेंद्रसुरी जैन ज्ञान मंदिर - खेतवाडी में नवकार स्मरण करते हुये समाधीपुर्वक देवलोकगमन हो गया , जिसकी गुणानुवाद सभा का आयोजन प . पु . मुनिश्री वैभवरत्न विजयजी म . सा ., मुनिश्री चंद्रयशविजयजी म . सा ., साध्वी श्री शासनलताश्रीजी म . स . , साध्वी श्री अनेकांतलताश्रीजी म . सा . आदि ठाणा की निश्रा में अयोजित की गयी | मुनिश्री वैभवरत्नविजयजी ने कहा कि पुण्यशाली आत्मा ने सारे सुयोग प्राप्तकर समाधिमरण को प्राप्त किया | मुनिश्री चंद्र्यशविजयजी म . सा . ने अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि अपने गच्छ समुदाय में वह प्रवर्तिनी पद पर न होते हुए भी उनके समान थी | उनकी सरलता ह्रदय को छूने वाली थी | साध्वी श्री अनेकांतलताश्रीजी ने उनकी अप्रमत्त दिनचर्या का वर्णन करते हुए कई प्रसंग बताये | साथ ही आचार्य श्री जयंतसेन सुरिश्वरजी म . सा ., आचार्य श्री   प्रद्मुम्नविमल सूरीश्वरजी म . सा ., आचार्यश्र