सुनने की फुर्सत हो तो आवाज़ है इन पत्थरों में, उजड़ी हुई बस्तियों में भी आबादियां बोलती हैं... चिड़ियाँ की चाल में तुफानो से टकराने चलती है , पहुंचे या ना पायें मंजिल, नन्हे पंख फैला उड़ती है| धुंधलका घना हो या साँझ का सुनहरा सा रंग, हौसला दिल में संजोकर, हर बाजी जीत भी लेती है| चातुर्मास यानि जीवन में परिवर्तन लाने का महत्वपूर्ण समय, जब बच्चे, बड़े सभी अनुकुलतानुसार गुरु के मुखारविंद से जिनवाणी का श्रवण तथा तपाराधना कर जीवन को सफल बनाने के लिए आत्मचिंतन करते हैं|इस वर्ष भी पर्युषण महापर्व में हुए विवाद को भूल जाएँ तो सभी श्रीसंघो में गुरु-भगवंतों की निश्रा में अनुकरणीय व अनुमोदनीय तपस्याएँ व अनुष्ठान हुए| वक्त बीतता गया और आखिर वह वक्त भी आ ही गया, जब जीवन में परिवर्तन लाने वाले चातुर्मास का भी परिवर्तन हो गया| यानि अब उपाश्रय, मन्दिरों में चहल-पहल कम हो जाएगी क्योंकिचातुर्मास परिवर्तन के साथ ही गुरु-भगवंतों का विहार हो गया है| ऐसे में मुख्य सवाल यह है कि इस चातुर्मास दरम्यान हमने अपने जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लाये या अब भी हम पूर्ववत ही हैं और अगले वर्ष फिर से वही