रतलाम 2 नवम्बर 16। लोकसन्त, आचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. के मालव माटी के सन्त पं. कमलकिशोरजी नागर ने जयन्तसेन धाम में दर्शन-वन्दन कर आशीर्वाद लिया । उन्होंने कुशलक्षेम पूछी। यहां लोकसन्तश्री ने साहित्य भेंटकर स्वरचित कविता-गीत सुनाया । चातुर्मास आयोजक एवं राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप ने सन्तश्री का शाल, श्रीफल एवं गुरुदेव की प्रतिमा भेंटकर बहुमान किया । यहां लोकसन्तश्री ने कहा कि पं. कमल किशोरजी नागर की कथा सुनकर लोगों का हृदय कमल की तरह खिलकर प्रफुल्लित हो जाए । आपकी कथा लोगों की थकान उतारकर उनमें ऊर्जा का संचार करती है । सन्तश्री पं. नागरजी ने कहा कि अकेले में सन्तों की साधना होती है, जबकि व्यक्ति ईश्वर की सर्वर्त उपस्थिति को भूलकर अपराध करने लगता है । यदि वह ईश्वर को साक्षी मानकर प्रत्येक कार्य करे तो उससे कोई अपराध ही नहीं होगा । उन्होंने कहा कि हमें सन्तों के शरीर के नहीं, उनकी वृत्ति अर्थात तप-ध्यान, साधना आदि के दर्शन करना चाहिए । इसी से शक्ति और भक्ति बढ़ती है। आपने कहा कि बेटा-पिता, शिष्य-गुरु और भक्त को भगवान जैसा होना चाहिए । यहां लोकसन्तश्री