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एटीएम/डेबिट कार्ड से संबंधित महत्वपूर्ण सवाल जवाब 

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प्रश्न: सक्रिय डेबिट कार्ड रखना क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: डेबिट कार्ड आपके भुगतानों को आपके बैंक खाते से सीधे ही इलेक्ट्रानिक भुगतान सुविधा के माध्यम से अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित बनाता है। आपके खाते को सीधे ही डेबिट करके डेबिट कार्ड का उपयोग ऑनलाइन अथवा दुकानों पर खरीददारी के लिए किया जा सकता है। एटीएम से नकद आहरण के लिए भी डेबिट कार्ड का उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न: डेबिट कार्डों से कोई ग्राहक कैसे लाभान्वित होता है?
उत्तरः ग्राहकों को मिलने वाले प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
· भारी भरकम चैक बुक अथवा बड़ी मात्रा में नकदी के स्थान पर एक छोटा प्लास्टिक कार्ड रखना ज्यादा सरल है।
· अपना खाता खोलने पर अधिकतर संस्थान आपके अनुरोध पर आपको एक डेबिट कार्ड जारी करेंगे।
· कागजी चैक बुक को भरने के स्थान पर चिप–समर्थित टर्मिनल अथवा कार्ड को स्वाईप करके खरीददारी की जा सकती है।
· आपको नकद अथवा चैक बुक साथ नही रखनी पड़ती है। डेबिट कार्ड आपके द्वारा स्वयं निर्धारित किए गए चार अंकों के पिन नम्बर द्वारा सुरक्षित होते हैं। आपके डेबिट कार्ड से किसी भी प्रकार की खरीददारी के लिए इस पिन की आवश्यकता होती है।
· जब आप शहर से बाहर अथवा देश से बाहर होते हैं, आमतौर पर डेबिट कार्डों को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है| (यह सुनिश्चत करें कि आप अपनी वित्तीय संस्था को यह बताएं कि आप शहर से बाहर जा रहे हैं, ताकि सेवा में कोई बाधा उत्पन्न न हो)।
· डेबिट कार्ड में आपको नकदी प्रदान करने की क्षमता भी है| आप उसे एटीएम पर ले जाकर तथा उसका उपयोग करके वहां पर नकदी का आहरण कर सकते हैं।
· भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ने पात्र रूप कार्डधारकों के लिए दुर्घटना से मृत्यु अथवा स्थायी अपंगता के मामले में गैर-प्रीमियम कार्डों (रूपे क्लासिक) के लिए 1 लाख रुपए तथा प्रीमियम कार्ड (प्लेटिनम) के लिए 2 लाख रुपए का बीमा कवर प्रारंभ किया है।

प्रश्न: यदि मैंने अपने डेबिट कार्ड का काफी समय से प्रयोग न किया हो तो क्या मैं उसका उपयोग कर सकता हूं?

उत्तरः जी, हां। लेकिन इसके लिए एक्टिवेशन की आवश्यकता होगी। कृपया अपने डेबिट कार्ड के साथ आये अग्रेषण पत्र को देखें। कृपया अपने बैंक की वेबसाइट देखें।

प्रश्न: मैं पिन कैसे बना सकता हूं?
उत्तरः बैंक मेल द्वारा पिन उलब्‍ध कराता है, जिसे बैंक द्वारा कार्डधारक के पते पर भेजा जाता है। कुछ बैंक ग्रीन पिन की सुविधा ऑनलाइन भी उपलब्‍ध कराते हैं। बैंक आपकी आवश्यकता के अनुरूप पिन बदलने की सुविधा भी उपलब्ध कराते हैं।

प्रश्न: डेबिट कार्ड भुगतान को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में उठाए गए कदम क्या हैं?
उत्तरः डेबिट कार्ड के प्रयोग को लोकप्रिय बनाने के लिए हाल ही में की गयी कुछे पहल हैं:

· एमडीआर (व्यापारी छूट दर), जिसे कोई व्यापारी (दुकानदार) बैंक को पीओएस लेनदेन के लिए अदा करता है, को 31 दिसम्बर, 2016 तक कम करके शून्य कर दिया गया है।

· पीओएस मशीन की खरीद के लिए देय उत्पाद शुल्क जो पहले 16.5% था, को 31 मार्च, 2017 तक समाप्त कर दिया गया है।

प्रश्न: यदि कोई दुकानदार आपको डेबिट कार्ड के प्रयोग के लिए अतिरिक्त राशि की मांग करे तो आपको क्या करना चाहिए?
उत्तरः कार्ड नेटवर्क द्वारा निर्धारित मानदंड के अनुसार दुकानदार को सरचार्ज अथवा सुविधा शुल्क के रूप में अतिरिक्त राशि की मांग नहीं करनी चाहिए। आप अपने कार्ड के प्रयोग के लिए अतिरिक्त राशि का भुगतान करने से मना कर सकते हैं तथा बैंक की वेबसाइट पर या अन्य तरीके से अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

प्रश्न: चूंकि बैंक ने 31 दिसम्बर, 2016 तक डेबिट कार्ड के प्रयोग के प्रभार को समाप्त कर दिया है तो क्या आप अतिरिक्त राशि का भुगतान करने से मना कर सकते हैं?
उत्तरः हालांकि सभी बैंकों ने 31 दिसम्बर, 2016 तक एमडीआर को समाप्त कर दिया है, दुकानदार द्वारा मांग किए जाने पर भी ग्राहक को अतिरिक्त राशि का भुगतान करने की आवश्यकता नही है क्योंकि इस राशि का भुगतान दुकानदार द्वारा किया जाना है।

प्रश्न: व्यापारी को कार्ड के प्रयोग को बढ़ावा क्यों देना चाहिए?
उत्तरः डेबिट कार्ड के लेनदेन को बढ़ावा देने से व्यापारियों को निम्नलिखित लाभ हैं:

· नगदी के रख-रखाव की तुलना में डिजीटल लेन-देन की लागत कम है।

· बैंक में नगद राशि को जमा करने की आवश्यकता नही है क्योंकि यह राशि खाते में स्वतः क्रेडिट होगी।

· ग्राहक के लिए क्रेडिट इतिवृत्त तैयार किया जाएगा, जिससे उन्हें समय-समय पर बैंकों तथा सरकार की अन्य वित्तीय पहल से सहायता प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

· व्यापारी की ओर से मैनुअल मिलान की आवश्यकता नही है। वे हमेशा अपने खाते का उल्लेख कर सकते हैं।

· भुगतान कार्ड स्वीकार करके व्यापारी अपना राजस्व बढ़ा सकते हैं।

· कार्ड ग्राहकों को शीघ्र तथा आसानी से भुगतान करने में सक्षम बनाता है।

· इलेक्ट्रॉनिक भुगतान ग्राहकों को त्वरित चेकआउट टाइम तथा भुगतान करने के अधिक कुशल तरीके का अधिक लचीला भुगतान विकल्प उपलब्ध कराता है| इसके अलावा समान मासिक किस्त (ईएमआई) भुगतान जैसी नयी पहल ग्राहकों को खरीदने तथा कब्जे में लेने की क्षमता प्रदान करती है।
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कंप्यूटर में फाइल्स की सुरक्षा के लिए जरुरी है ये 5 सोफ्टवेयर


बिना लैपटॉप और कंप्यूटर के इंसान का काम आज नही हो सकता है| हम अपनी हर बड़ी या छोटी चीज के लिए कहीं ना कहीं लैपटॉप और कंप्यूटर पर निर्भर हैं| सभी पढ़े-लिखे व्यक्ति का अपना एक अलग लैपटॉप और कंप्यूटर होता है| इसके अन्दर हर व्यक्ति अपनी कई तरह की ख़ुफ़िया जानकारी जरुर रखता है| कई बार हमारी ख़ुफ़िया चीजें बड़ी आसानी से दूसरों से हाथ लग जाती हैं| यहाँ तक कि हमारे बैंक अकाउंट डिटेल्स भी लैपटॉप और कंप्यूटर में सुरक्षित नही है| सोफ्टवेयर किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम का अनिवार्य हिस्सा होते हैं और किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए जितने ज्यादा सोफ्टवेयर होते हैं, उसे उतना ही बेहतर माना जाता है| यूँ तो ऑपरेटिंग सिस्टम में VLC, Caesium Image Compressor, File Optimizer, Google Drive For PC, Windows Defender / Microsoft Security Essentials, MBAM ( Malware BytesAnti Malware), Google Chrome And Mozilla Firefox, Ninite, Notepad, Sumatra PDF, Zip, Autoruns, Ultimate Windows Tweaker, CCleaner, Apache Open Office, Quick Search, Recuva, Tweaking.com Windows Repair फ्री सोफ्टवेयर हैं लेकिन इनके साथ ही ये 5 सॉफ्टवेर होना बेहद जरुरी है ताकि हमारे डॉक्युमेन्ट्स और फाईल्स आदि सुरक्षित रहें|

सॉफ्टवेर जो आपके कंप्यूटर में होने चाहिए:–

1. ओरिजिनल एंटी वायरस: आपके लैपटॉप और कंप्यूटर के अन्दर हमेशा ओरिजिनल एंटी वायरस जरुर होना चाहिए| कई बार हम बिना जांच के अपने सिस्टम में पेनड्राइव लगा देते हैं लेकिन सामने वाला तो किसी हरकत के तहत जान-बूझकर पेनड्राइव में वायरस देता है| अगर आपके पास एंटी वायरस है तो आप कुछ जरुरी कंटेंट को खत्म हो जाने से बचा सकते हैं|

2. फोल्डर लॉक सॉफ्टवेर: आपके सिस्टम में कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिनको सभी की नजरों से बचाना जरुरी होता है| जैसे कि आपकी बैंक अकाउंट डिटेल्स भी आप इसी में रखते होंगे| अगर आपके इस फाइल पर लॉक नही लगाया है तो कोई भी इसे देख सकता है| इसलिए जरुरी है कि आप फोल्डर लॉक से अपने जरुरी फ़ोल्डर्स को लॉक करके रखें|

3. सिस्टम भी लॉक रखा करें: अच्छी बात होगी अगर आप अपने सिस्टम को भी लॉक करके रखें| जैसे ही आप इसको चालू करें तो यह आपसे आपका पासवर्ड जरुर पूछे| ऐसा करना बहुत ही जरुरी होता है| ऑफिस के सिस्टम में भी आपको अपना ही एक पासवर्ड बनाकर रखना चाहिए|

4. रजिस्ट्री क्लीनअप: कई बार आपको मालूम ही नही चलता है और सिस्टम के अन्दर बेकार की फाइल्स जगह बनाने लग जाती है| इससे होता क्या है कि धीमें-धीमें आपका सिस्टम स्लो हो जाता है| इस समस्या से बचाने का काम रजिस्ट्री क्लीनअप करता है|

5. ज़िप मेकर जरुर हो आपके पास: आपके लैपटॉप और कंप्यूटर में निश्चित रूप से कई चीजें तो बहुत ही अहम होंगी| अच्छा होगा कि आप इनको सभी से छुपाकर रखें और इसके लिए अच्छा तरीका है कि आप ज़िप फाइल में इनको बदल दें ताकि आसानी से कोई इनको ना समझ सके| इस काम के लिए आपको ज़िप फाइल मेकर की आवश्यकता होगी|

तो इस तरह से यह 5 सॉफ्टवेर आपके कंप्यूटर में होने ही चाहिए| यह सभी सॉफ्टवेर आपकी जरुरी सूचना को गलत हाथों में जाने नही देंगे इसलिए आप अपने सिस्टम में इन 5 चीजों को जरुर रखें|


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कहीं भी निवेश करने से पहले बचत करना जरूरी



आजकल सबसे बड़ी चुनौतीयों में से एक है अपने खर्चों पर नियंत्रण पाना और भविष्य के लिए पैसे बचाना लेकिन यदि आप बचत करेंगे तभी तो निवेश कर पायेंगे| शेयर बाजार अथवा फिक्स्ड डिपाजिट या और कहीं निवेश करने से पहले बचत। करना जरूरी है। यहाँ हम आपको कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं जिनसे आप खर्चालू इंसान से बचत करने वाला इंसान बन सकते हैं। आप एक अच्छा जॉब या व्यवसाय कर रहे हैं, मोटा वेतन कमाते है और आपका उज्जवल भविष्य है। फिर भी क्या इसमें से कोई भी बात आपकी बचत से परिलक्षित होती है? अधिकतर युवा लोगों को अपने करियर के शुरुआती वर्षों में पैसे बचाने में बहुत कठिनाई आती है। यह कोई जरूरी नही है कि बचत करने के लिए आप इन्तजार करते रहें कि जब मेरी आय बढ़ेगी तो ही बचत करूंगा। आप खुद ही सोचिये, कोई व्यक्ति यदि तीस हजार रुपये कमाकर तीस हजार ही महीने के अंत में खर्च कर देता है और दूसरा व्यक्ति यदि बीस हजार रुपये कमाकर हर महीने दस हजार रुपये बचा लेता है तो महीने के आखिर में कौन ज्यादा अमीर है? अब एक ऐसे व्यक्ति की कल्पना कीजिए जो तीस हजार रुपये कमा कर पैंतीस हजार रुपये खर्च देता है। आप कह सकते हैं कि मैं हमेशा सीमा में ही खर्च करता हूँ मगर कभी यदि कोई आपातकालीन जरूरत हुई या कोई बीमारी हुई तो खर्च आपकी आय से ज्यादा जा सकता है। यदि यह पैसा बचाने के तरीके आप अपने जीवन के शुरुआत में ही अपना लेते हैं तो रिटायरमेंट के समय तक आपके पास बहुत बड़ी रकम होगी जिससे आप अपना शेष जीवन आराम से गुजार सकते है। इन तरीकों को अपनाकर आप भी कम खर्च करके अधिक से अधिक बचत कर सकते है।

खर्च से पहले बचत:
अधिकतर लोग अपनी आय से सभी खर्चों को निकालकर जो शेष बच जाए उतनी ही बचत करते हैं जबकि उचित तरीका यह है कि पहले बचत करें और उसके बाद जो बच जाए उतना ही खर्च करे। महीने के शुरू में ही अपनी बचत कर लें, उसके बाद जो बचे उतना ही खर्च करें।

दिखावा करने से पहले इंतज़ार करें: जब आप कुछ भी नया और महँगा खरीदना चाहते हैं तो रुकें और सोचे कि क्या आपको वाकई इसकी आवश्यकता है? कहीं आप दिखावा करने के लिए कुछ महँगा तो नही खरीद रहे हैं? आईफोन की जरूरत है, तभी आईफोन खरीदें। केवल इसलिए कि आपके मित्र ने आईफोन खरीदा है तो आप भी आईफोन ना ले आयें। कुछ भी महंगा खरीदने से पहले अपने निर्णय को तीस दिनों के लिए टाल दें। तीस दिन बाद देखें कि क्या अभी भी आप उस महँगी वस्तू के बिना नही रह सकते? जिसकी जरूरत आपको तीस दिन तक नही पड़ी, मुमकिन है आपको उसकी जरूरत है ही नही।

क्रेडिट कार्ड का प्रयोग कम करें: जब हम कैश में पेमेंट करते हैं तो पैसा अपने बटुए से निकलता है, इस तरह से पैसा निकलते हुए पैसे के खर्च होने का एहसास होता है| कार्ड से पेमेंट करते हैं तो यह अहसास नही होता। जब भी बाजार खरीददारी के लिए जाएँ, अपना बजट निश्चित करें और उतना ही नकद अपनी जेब में रखें। क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड घर पर ही छोड़ दें।

छोटी बचत से शुरू करें:
कैरियर की शुरुआत में जब आय कम ही होती है, बचत करनी कठिन होता है। फिर भी थोड़ा-थोड़ा अवश्य बचाएं और धीरे-धीरे इसे बढाते जाएँ। लम्बी अवधि तक जमा कम पैसा भी ब्याज के साथ बड़ा होने लगता है। पैसा बचाने के तरीके छोटे-छोटे ही होते है, मगर नतीजे बड़े भी हो सकते है।

बजट बनाएं:
महीने के शुरू में ही अपना बजट बना लें। बिना हिसाब-किताब के यूं ही खर्च ना करें। बजट बना होगा तो आपको पता रहेगा कि कहां-कहां खर्च करना है, इससे बिना बजट के खर्चे बच जायेंगे। अपने बजट पर कायम रहें और परिवार को भी इसे पालन करने के लिए कहें। हो सके तो बजट बनाने में परिवार को भी साथ रखें। यदि सभी मिलकर निर्णय लेंगे तो सभी उस निर्णय पर कायम भी रहेंगे।
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RTI दाखिल करते समय रखें इन बातों का ध्‍यान


भारतीय राजनीति के इतिहास में आरटीआई एक्‍ट यानी की सूचना का अधिकार कानून एक मील का पत्थर साबित हुआ है। आरटीआई (राइट टु इन्फर्मेशन) यानी सूचना का अधिकार ने आम लोगों को मजबूत और जागरूक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। सूचना का अधिकार अधिनियम भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है, जो १२ अक्टूबर २००५ को लागू हुआ। यह कानून भारत के सभी नागरिकों को सरकारी फाइलों/रिकॉडर्‌‌स में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार देता है। २००५ में देश में लागू हुए इस कानून को १० से ज्या‍दा साल हो चुके हैं, हालांकि लोग अब भी इसके इस्तेमाल और अहमियत के बारे में ज्यादा नहीं जानते। आरटीआई कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़ पूरे देश में लागू है। आइए जानते हैं क्या है आरटीआई कानून और इसका इस्तेमाल करते हुए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
¯इस कानून का इस्तेमाल आप किसी भी सरकारी महकमे से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए कर सकते हैं। जैसे सरकारी स्कूल, अस्पताल, सड़क निर्माण विभाग सहित कई ऐसे विभाग, जहां से किसी अनियमितता की जानकारी निकालनी है।
यदि पहली बार आरटीआई दाखिल कर रहे हैं तो संबंधित विभाग में आप जानकारी ले सकते हैं या किसी अनुभवी व्यक्ति से पूछ सकते हैं या फिर वकील की सहायता भी ले सकते हैं। मांगी गई सूचना के लिए आपको ३० दिन की अवधि तक रुकना होगा। यह अवधि मांगी गई सूचना के आधार पर होगी।

याद रखें आपकी आरटीआई को RTI एक्‍ट २००५ की धारा ६ (३) के अंतर्गत कोई भी लेने से इंकार नही कर सकता और उसे मांगी गई जानकारी देनी ही होगी। हां यदि किसी विभाग ने सूचना अधिकारी की नियुक्‍ति नही की है तो आप अनुच्‍छेद १८ के अंतर्गत राज्‍य सूचना आयोग के पास शिकायत कर सकते हैं। ऐसे में संबंधित विभाग और अधिकारी पर २५ हजार रुपये का जुर्माना लग सकता है। यदि आप भारतीय नागरिक हैं तो आप इसका आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। याद रखें यदि आप किसी संस्था, यूनियन अथवा निगम के नाम से आरटीआई लगा रहे हैं तो यह लागू नही होगी। बेहतर होगा कि इन संस्थाओं के नाम पर व्‍यक्‍ति आरटीआई लगाए।
सेना में आरटीआई लगाने में पूरी स्वतंत्रता नही है। खुफिया एजेंसी, विदेश मंत्रालय, जिसमें दूसरे देशों से संबंधों पर असर होता हो या फिर देश की सुरक्षा एकता अखंडता को खतरा पहुंचता हो तो आप आरटीआई नही लगा सकते लेकिन सेना के तीनों अंग आरटीआई के अंतर्गत आते हैं।
आरटीआई लगाने के लिए आपको संबंधित विभाग के सूचना अधिकारी, जो कि अब हर राज्य सरकार के विभाग में राज्य सूचना अधिकारी के रूप में नियुक्‍त है, उसे अपनी सूचना देनी होती है।
विभाग से जिस भी विषय में जानकारी हासिल करनी है, उसे साफ स्पष्ट शब्दों में सीधे लिखें। बातों को दोहराने से, गुमराह करने से आपके लिए दिक्कतें हो सकती हैं। इसमें अवधि, कब से कब तक की जानकारी चाहिए आदि सभी बातों का उल्लेख होना चाहिए।
चाहें तो ऑनलाइन भी आरटीआई लगा सकते हैं। आपको http://rtionline.gov.in/ पर जाना होगा, जहां जाकर आपको अपना रजिस्ट्रेशन करना होता है। इसके बाद निर्धारित निर्देशों के अनुसार आरटीआई दाखिल कर सकते हैं।
यदि आप डाक विभाग के जरिये आरटीआई भेज रहे हैं तो आप चाहें तो सरकार द्वारा बनाए निर्धारित डाक विभागों में स्थित सूचना जन सहायक दफ्तर में इसे जमा कर सकते हैं। यहां डाक विभाग की जिम्मेंदारी होती है कि वह संबंधित विभाग के संबंधित अधिकारी तक आपकी सूचना पहुंचाए। आपको अपना पता या निजी जानकारी लिखने की कोई जरूरत नही है। आप चाहें तो अपना नंबर लिख सकते हैं ताकि जरूरत होने पर आपसे अधिकारी संपर्क साध सकें।
याद रखें, कोई भी सूचना यदि किसी व्‍यक्‍ति की आजादी और स्‍वतंत्रता से संबंधित है तो वह आपको ४८ घंटे के भीतर मिल सकती है। अन्‍यथा सामान्‍य सूचना की अवधि ३५ दिन है।
यह भी ध्यान रखें:
सूचना पाने के लिए कोई तय प्रोफार्मा नहीं है। सादे कागज पर हाथ से लिखकर या टाइप कराकर १० रुपये की फिक्स्ड फीस के साथ अपनी ऐप्लिकेशन संबंधित अधिकारी के पास किसी भी रूप में (खुद या डाक द्वारा) जमा कर सकते हैं।
आप हिंदी, अंग्रेजी या किसी भी स्थानीय भाषा में ऐप्लिकेशन दे सकते हैं।

ऐप्लिकेशन फीस नकद, डिमांड ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर से दी जा सकती है।
डीमांड ड्राफ्ट या पोस्टल ऑर्डर संबंधित विभाग (पब्लिक अथॉरिटी) के अकाउंट ऑफिसर के नाम पर होना चाहिए।
डीमांड ड्राफ्ट के पीछे और पोस्टल ऑर्डर में दी गई जगह पर अपना नाम और पता जरूर लिखें।

गरबी रेखा के नीचे की कैटिगरी में आने वाले ऐप्लिकेंट को किसी भी तरह की फीस देने की जरूरत नहीं है। इसके लिए उसे अपना बीपीएल सर्टिफिकेट दिखाना होगा।
अगर सूचना अधिकारी आपको समय पर सूचना उपलब्ध नहीं करा पाता है और आपसे तीन दिन की समय सीमा गुजरने के बाद डॉक्युमेंट उपलब्ध कराने के नाम पर अतिरिक्त धनराशि जमा कराने के लिए कहता है तो यह गलत है। इस स्थिति में अधिकारी आपको मुफ्त डॉक्युमेंट उपलब्ध कराएगा। चाहे उनकी संख्या कितनी भी हो।
आरटीआई कानून का मकसद:– इस कानून का मकसद सरकारी महकमों की जवाब दे ही तय करना और पारदर्शिता लाना है ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके। यह अधिकार आपको ताकतवर बनाता है। इसके लिए सरकार ने केंदीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों का गठन भी किया है।

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