3डी वर्ल्ड में बनायें अपना भविष्य
डिजाइनिंग से टेस्टिंग: एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर पर कई प्रकार की जिम्मेदारियां होती हैं। उसे कम लागत में बेहतरीन ऑटोमोबाइल डिजाइन करना होता है| पहले ड्रॉइंग और ब्लूप्रिंट तैयार किया जाता है। इसके बाद इंजीनियर्स उसमें फिजिकल और मैथमेटिकल प्रिंसिपल्स अप्लाई कर उसे डेवलप करते हैं। इस तरह ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स प्लानिंग, रिसर्च वर्क के बाद एक फाइनल प्रोडक्ट तैयार करते हैं, जिसे मैन्युफैक्चरिंग के लिए भेजा जाता है।
जॉब की संभावनाएं: ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में विभिन्न प्रकार की संभावनाएं मौजूद हैं। कार बनाने वाली कंपनी से लेकर सर्विस स्टेशन, इंश्योरेंस कंपनीज, ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स के लिए काफी मौके हैं। इसके अलावा गाड़ी की मेंटेनेंस और सर्विसिंग और ऑटोमोबाइल टेक्निशियन, कार या बाइक मैकेनिक, डीजल मैकेनिक के रूप में काम कर सकते हैं। आप किसी ऑटो कंपनी में सेल्स मैनेजर, ऑटोमोबाइल डिजाइनर, पेन्ट स्पेशलिस्ट आदि भी बन सकते हैं।
आज ऐड वर्ल्ड से लेकर फिल्मों तक में 3डी तकनीक का खुब इस्तेमाल हो रहा है। यह हाल तकरीबन हर सेक्टर में देखा जा रहा है। करियर की दृष्टि से देखें तो इस क्षेत्र में भरपूर संभावनाएं मौजूद हैं। आज एनिमेशन की दुनिया में भारत काफी आगे निकल चुका है। खासकर अब तो भारत की 3डी एनिमेशन फिल्मों की चर्चा विदेश में भी होने लगी हैं। हाल ही में आई कई 3डी फिल्म है, जिनमें एनिमेशन का भी भरपूर इस्तेमाल हुआ है। दरअसल 3डी एनिमेशन का एक ऐसा क्षेत्र है, जहां युवाओं के लिए भरपूर मौके हैं। आज तो एनिमेशन के अलावा, विज्ञापनों में भी 3डी एनिमेशन का इस्तेमाल जमकर होने लगा है। इसके अलावा, बड़े पर्दे पर भी 3डी एनिमेशन फिल्मों का जलवा देखा जा सकता है। अगर आप क्रिएटिव हैं तो इस फील्ड में शानदार करियर बना सकते हैं और यह फील्ड ऐसा फील्ड है जिसमें सैलरी शानदार होती है।
क्या है 3डी एनिमेशन फील्ड़: 3डी एनिमेशन सॉफ्टवेयर आधारित कोर्स है, जिसमें 3डी स्टूडियो मैक्स, माया, सॉफ्ट इमेज आदि प्रमुख हैं। दरअसल, 3डी स्टूडियो मैक्स, माया, सॉफ्ट इमेज सॉफ्टवेयर्स की मदद से रीयल लाइफ इमेज बना सकते हैं। इसमें तीन डायमेंशन (एक्स, वाई और जेड) होते हैं। इसमें पहले मॉडलिंग के जरिए वस्तु का निर्माण करते हैं। फिर एनिमेशन से उसे मूव कराते हैं। एनिमेशन में कई तरह की तकनीकी उपयोग में लाई जाती हैं, जिसमें मुख्य रूप से पारंपरिक एनिमेशन, स्टॉप मोशन एनिमेशन, रोटोस्कोपिंग एनिमेशन, कम्प्यूटर जेनरेटेड 3डी एनिमेशन, क्लेमेशन आदि प्रमुख हैं।
3डी वर्ल्ड में एंट्री: 12वीं के बाद एनिमेशन से संबंधित डिप्लोमा और डिग्री कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर (आईडीसी), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन जैसे संस्थानों में आर्किटेक्चर, टेक्नोलॉजी ऐंड इंजीनियरिंग, फाइन आर्ट में ग्रेजुएट स्टूडेंट्स ही अप्लाई कर सकते हैं। इसके अलावा, डिजाइनिंग कैरेक्टर एनिमेशन, गेमिंग इत्यादि में शॉर्ट टर्म कोर्सेज भी कराए जाते हैं। आप इस फील्ड में 3डी या 2डी मॉडेलर, स्पेशल एफएक्स क्रिएटर, एनिमेटोर, कैरेक्टर डिजाइनर, गेम डिजाइनर, इंटरैक्शन डिजाइनर आदि में स्पेशलाइजेशन कर सकते है। क्रिएटिव लोगों के लिए इस फील्ड में चांसेज बहुत ज्यादा हैं।
बाजार और संभावनाएं: एनिमेशन ऐसा करियर है, जिसमें संभावनाओं की कोई कमी नही है। डिजिटल दौर में अलग-अलग क्षेत्रों में एनिमेशन के बढ़ते इस्तेमाल के कारण इस क्षेत्र में नौकरियां तेजी से बढ़ रही हैं। फिल्मों के अलावा, गेमिंग, वेब डिजाइनिंग, मेडिकल, प्रिंटिंग, रियल एस्टेट इत्यादि क्षेत्रों में एनिमेशन आज महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग बनकर सफलता के हाईवे पर बढ़ाएं रफ्तार
अगर आप इनोवेटिव और क्रिएटिव माइंडेड हैं तो ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग का करियर अपना सकते हैं। इस फील्ड में शानदार पे-पैकेज के अलावा, जॉब की भरपूर संभावनाएं हैं। भारतीयों की क्रय शक्ति और गाड़ियों की सेल्स बढ़ने से ऑटोमोबाइल सेक्टर तेजी से उभरती हुई इंडस्ट्री बन गया है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर ऑटो सेक्टर सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है। कहते हैं कि किसी भी ऑटो कंपनी में एक जॉब क्रिएट होने का मतलब है, तीन से पांच इनडायरेक्ट जॉब ऑप्शंस का खुलना। जिस तरह से मार्केट में देशी-विदेशी कंपनियों की नई इनोवेटिव कारें लॉन्च हो रही हैं, उसे देखते हुए ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। अगर आपको भी कार का पैशन है, मैकेनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैथमेटिक्स में दिलचस्पी है तो ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के साथ करियर को रफ्तार दे सकते हैं।
डिजाइनिंग से टेस्टिंग: एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर पर कई प्रकार की जिम्मेदारियां होती हैं। उसे कम लागत में बेहतरीन ऑटोमोबाइल डिजाइन करना होता है| पहले ड्रॉइंग और ब्लूप्रिंट तैयार किया जाता है। इसके बाद इंजीनियर्स उसमें फिजिकल और मैथमेटिकल प्रिंसिपल्स अप्लाई कर उसे डेवलप करते हैं। इस तरह ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स प्लानिंग, रिसर्च वर्क के बाद एक फाइनल प्रोडक्ट तैयार करते हैं, जिसे मैन्युफैक्चरिंग के लिए भेजा जाता है।
स्पेशलाइजेशन फायदेमंद: अगर कोई ऑटोमोबाइल इंजीनियर किसी खास एरिया में स्पेशलाइजेशन करता है तो इससे उसे काफी फायदा होता है। मार्केट में उसकी एक अलग पहचान बनती है, मसलन ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स एग्जॉस्ट सिस्टम, इंजन और स्ट्रक्चरल डिजाइन में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं।
जरूरी स्किल्स: ऑटोमोबाइल इंजीनियर बनने के लिए आपके पास टेक्निकल के साथ-साथ फाइनेंशियल नॉलेज होना भी जरूरी है। आपको जॉब के कानूनी पहलुओं से अपडेट रहना होगा।
जॉब की संभावनाएं: ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में विभिन्न प्रकार की संभावनाएं मौजूद हैं। कार बनाने वाली कंपनी से लेकर सर्विस स्टेशन, इंश्योरेंस कंपनीज, ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स के लिए काफी मौके हैं। इसके अलावा गाड़ी की मेंटेनेंस और सर्विसिंग और ऑटोमोबाइल टेक्निशियन, कार या बाइक मैकेनिक, डीजल मैकेनिक के रूप में काम कर सकते हैं। आप किसी ऑटो कंपनी में सेल्स मैनेजर, ऑटोमोबाइल डिजाइनर, पेन्ट स्पेशलिस्ट आदि भी बन सकते हैं।
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घुमने का है शौक तो टूर प्लानर बनना है सही चुनाव
ट्रैवल इंडस्ट्री लगातार बूम पर है। एयरलाइंस, क्रूज, होटल और हॉस्पिटैलिटी का कॉम्बिनेशन होने की वजह से इस फील्ड में नौकरी के मौके लगातार बढ़ रहे हैं। साथ ही नई-नई जॉब के अवसर भी सामने आ रही है। तेजी से बढ़ते इस सेक्टर में नया ट्रैंड है टूर प्लानर का, जिसको कई बार हॉलीडे प्लानर के नाम से भी जाना जाता है। टूर प्लानर ग्राहक के ड्रीम हॉलीडे को हकीकत का रूप दे देता है। डेस्टिनेशन प्लानिंग से लेकर घूमने-फिरने, खाने-पीने सबकी जिम्मेदारी इनकी होती है।
टूर प्लानर की भूमिका
अगर आप कहीं सफर करना चाहते हैं लेकिन कोई प्लानिंग या रिसर्च करने के मूड में नही हैं तो इसी के लिए बने हैं टूर प्लानर। आप उन्हें अपनी पसंद का डेस्टिनेशन बता दीजिए। आपकी पसंद के मुताबिक टूर प्लानर आपको सारे इंतजाम करके देंगे। आपकी फ्लाइट या ट्रेन की बुकिंग से लेकर होटल और रिसॉर्ट में रुकना, भोजन, टैक्सी आदि का बंदोबस्त कराना सब इनके जिम्मे होता है।
टूर प्लानर का टैलेंट
सिर्फ किताबी ज्ञान या ट्रेनिंग से अच्छा टूर प्लानर नही बना जा सकता। इस करियर के लिए कुछ ऐसी स्किल्स आपके व्यक्तित्व में होनी चाहिए, जो कस्टमर को कन्विंस कर सके। कम्युनिकेशन ऐसा हो, जिससे लोग आपकी बातों से प्रभावित हों। ग्राहकों को ट्रिप के दौरान सर्वश्रेष्ठ सर्विस देना, उनके साथ अच्छा बर्ताव करना और साथ ही सुरक्षा का खयाल करना भी ट्रिप प्लानर का काम होता है। उसमें मैनेजेरियल और एडमिनिस्ट्रेटिव पावर होना चाहिए। मुश्किल हालात में तुरंत फैसला करना और टीम में काम करना आना भी इस प्रोफेशन के लिए जरूरी है।
क्वॉलिफिकेशन
आप किसी भी स्ट्रीम से १२वीं या ग्रेजुएशन करने के बाद टूरिज्म एंड ट्रैवलिंग सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री या पीजी कर सकते हैं। इसके अलावा ट्रेनिंग और शॉर्ट टर्म कोर्स भी कर सकते हैं।
कोर्स
बैचलर इन टूरिज्म एडमिनिस्ट्रेशन
बैचलर इन होटल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट
पीजी डिप्लोमा इन ट्रैवल मैनेजमेंट
पीजी इन ट्रैवल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट।
सैलरी
ट्रैवल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री में हो रही ग्रोथ की वजह से यहां नौकरी के अच्छे अवसर हैं। यह एक ऐसा फील्ड है, जिसमें युवाओं का आकर्षण बढ़ा है। सैलरी की बात करें तो शुरूआत में १५ से २० हजार रुपए तक कमा सकते हैं। बाद में आपके काम, अनुभव और कस्टमर सर्विस के आधार पर ज्यादा पैसा मिलता है।
टूर प्लानर की भूमिका
अगर आप कहीं सफर करना चाहते हैं लेकिन कोई प्लानिंग या रिसर्च करने के मूड में नही हैं तो इसी के लिए बने हैं टूर प्लानर। आप उन्हें अपनी पसंद का डेस्टिनेशन बता दीजिए। आपकी पसंद के मुताबिक टूर प्लानर आपको सारे इंतजाम करके देंगे। आपकी फ्लाइट या ट्रेन की बुकिंग से लेकर होटल और रिसॉर्ट में रुकना, भोजन, टैक्सी आदि का बंदोबस्त कराना सब इनके जिम्मे होता है।
टूर प्लानर का टैलेंट
सिर्फ किताबी ज्ञान या ट्रेनिंग से अच्छा टूर प्लानर नही बना जा सकता। इस करियर के लिए कुछ ऐसी स्किल्स आपके व्यक्तित्व में होनी चाहिए, जो कस्टमर को कन्विंस कर सके। कम्युनिकेशन ऐसा हो, जिससे लोग आपकी बातों से प्रभावित हों। ग्राहकों को ट्रिप के दौरान सर्वश्रेष्ठ सर्विस देना, उनके साथ अच्छा बर्ताव करना और साथ ही सुरक्षा का खयाल करना भी ट्रिप प्लानर का काम होता है। उसमें मैनेजेरियल और एडमिनिस्ट्रेटिव पावर होना चाहिए। मुश्किल हालात में तुरंत फैसला करना और टीम में काम करना आना भी इस प्रोफेशन के लिए जरूरी है।
क्वॉलिफिकेशन
आप किसी भी स्ट्रीम से १२वीं या ग्रेजुएशन करने के बाद टूरिज्म एंड ट्रैवलिंग सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री या पीजी कर सकते हैं। इसके अलावा ट्रेनिंग और शॉर्ट टर्म कोर्स भी कर सकते हैं।
कोर्स
बैचलर इन टूरिज्म एडमिनिस्ट्रेशन
बैचलर इन होटल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट
पीजी डिप्लोमा इन ट्रैवल मैनेजमेंट
पीजी इन ट्रैवल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट।
सैलरी
ट्रैवल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री में हो रही ग्रोथ की वजह से यहां नौकरी के अच्छे अवसर हैं। यह एक ऐसा फील्ड है, जिसमें युवाओं का आकर्षण बढ़ा है। सैलरी की बात करें तो शुरूआत में १५ से २० हजार रुपए तक कमा सकते हैं। बाद में आपके काम, अनुभव और कस्टमर सर्विस के आधार पर ज्यादा पैसा मिलता है।
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करियर में नया ट्रेंड बना रहा है ज्वेलरी डिजाइनिंग
फैशन में जूलरी का अपना एक अलग मुकाम है। भारत गोल्ड का सबसे बडा उपभोक्ता है और यहां जेम्स एंड ज्वैलरी के लिए बेहतर सुविधाएं भी मौजूद है। फैशन और खासतौर से आभूषणों का महिलाओं की जिंदगी में बेहद अहम रोल है। आज बाजार में न सिर्फ सोने के पारंपरिक गहने मौजूद हैं बल्कि हीरे, प्लेटिनम, व्हाइट गोल्ड, कुंदन, पोलकी आदि के आभूषण भी महिलाओं के मन को खूब लुभाते हैं। यही वजह है कि इन दिनों ज्वेलरी डिजाइनिंग के क्षेत्र में भी करियर की अपार संभावनाएं हैं।
फ्रीलांस डिजाइनिंग: अगर आप किसी एक्पोर्ट हाउस को जॉइन करेंगे तो आपके नए डिजाइन इंटरनैशनल मार्केट में दिखेंगे। वैसे ज्यादातर स्टूडेंट्स अपना प्रॉडक्शन हाउस खोलकर अपना खुद का बिजनस शुरू करने को प्राथमिकता देते हैं। फ्रीलांसिंग में आपको जूलर्स हाउस के निर्देश के मुताबिक डिजाइन तैयार करना होगा।
स्किल्स: पहले इस काम को सीखने का एकमात्र रास्ता अनुभवी जूलर होते थे लेकिन आज स्कूल के सीधे बाद जूलरी डिजाइन में आप डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। जेमोलॉजी कोर्स के अंतर्गत जेम्स की पहचान, उसकी रंगत, धातु की पहचान, ड्राइंग टेक्निक्स, डिजाइन मेथोडोलॉजी, कम्प्यूटर ऐडेड डिजाइन आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। जेमोलॉजी में डिग्री (तीन-वर्षीय), डिप्लोमा (दो-वर्षीय) और सर्टिफिकेट कोर्सेज (एक साल) के साथ-साथ ट्रेंड प्रोफेशनल्स के लिए कुछ स्पेशलाइज्ड कोर्सेज भी उपलब्ध हैं।
करियर संभावनाएं: जेमोलॉजी का कोर्स कर लेने के बाद आपको प्राइवेट एक्सपोर्ट हाउसेज, ज्वैलरी डिजाइनिंग एंड कटिंग फम्र्स और इससे जुडी कंपनियों में काफी आकर्षक जॉब मिल सकती है। इसके अलावा यदि आप अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो संबंधित क्षेत्र में अनुभव और कौशल प्राप्त करने के बाद अपनी खुद की रिटेल, होलसेल या ज्वैलरी-शॉप्स खोल कर अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं।
योग्यता: कुछ कोर्स के लिए कम से कम स्नातक होना आवश्यक है और कुछ शॉर्ट टर्म या कम अवधि वाले कोर्स सीधे बारहवीं के बाद भी किए जा सकते हैं। यदि आप रचनात्मक हैं और कलर मैचिंग की परख, सेमी प्रिशियस और प्रिशियस स्टोंस की समझ, फैशन और लेटेस्ट स्टाइल को समझते और जानते हैं और आधुनिक तकनीक व मशीनों के बीच काम कर सकते हैं तो यह क्षेत्र आपका है।
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