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Showing posts from January 30, 2022

राष्ट्रसंत चंद्राननसागर सूरीश्वरजी म.सा. की आचार्य पदवी के रजत महोत्सव पर श्री नाकोड़ा दर्शन धाम पर वृक्षारोपण

राष्ट्रसंत चंद्राननसागर सूरीश्वरजी म.सा. की आचार्य पदवी के रजत महोत्सव पर श्री नाकोड़ा दर्शन धाम पर वृक्षारोपण मुंबई: प.पु. आचार्यश्री राष्ट्रसंत चंद्राननसागर सूरीश्वरजी म.सा. के आचार्य पदवी के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर श्री नाकोड़ा भैरव दर्शन धाम-ढेकाले विलेज, पालघर में वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन होगा। इस अवसर पर नाकोड़ा दर्शन धाम में 25 वृक्ष रोपित किये जायेंगे, जिनमें 24 वृक्ष जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के नाम पर तथा एक वृक्ष अतिरिक्त स्थल पर दादा गुरुदेव श्री दर्शनसागर सूरीश्वरजी म.सा.जी की स्मृति में लगाया जाएगा। गोडवाड़ के पर्यावरण संरक्षण के विकास के लिए पिछले 2 वर्षों से समर्पित भाव सेकार्यरत श्रीमती ज्योति श्रीपालजी मुणोत द्वारा श्री नाकोड़ा दर्शन धाम में वृक्षारोपण कार्यक्रम का संचालन होगा। श्रीमती मुणोत द्वारा बताया गया कि प.पु. गुरुदेव की आचार्य पद की सिल्वर जुबली  के अवसर पर 13 फरवरी 2022 को आयोजित रजत समारोह में पधारे अतिथियों के हाथों एक-एक वृक्ष रोपित किये जायेंगे। राष्ट्रसंत चंद्राननसागर सूरीश्वरजी म.सा. एवं साध्वीश्री कल्पिताश्रीजी म.सा. से आश

राष्ट्रसंत चंद्रानन ने किया दर्शन सागर ग्रंथ का लोकार्पण

राष्ट्रसंत चंद्राननसागरजी ने किया दर्शन सागर ग्रंथ का लोकार्पण अंतिम सांस तक जनकल्याण को समर्पित रहे दादा गुरुदेव दर्शनसागरजी मुंबई: शिक्षा, सेवा, सशक्तिकरण, जीवदया तथा सामाजिक सरोकारों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले विख्यात जैनाचार्य राष्ट्रसंत चंद्रानन सागर के हाथों गच्छाधिपति दर्शनसागर सूरीश्वर महाराज के जीवनवृत्त पर लिखित ‘मेरे गुरुवर दर्शन सागर - गागर में सागर’ ग्रंथ का विमोचन समारोह पूर्वक संपन्न हुआ। इस ग्रंथ की संकल्पना मनोज शोभावत की है तथा संगीता बागरेचा ने इसे लिखा है। दक्षिण मुंबई के पाटकर हॉल में आयोजित इस समारोह में देश भर से आए दर्शन भक्तों सहित मुंबई के विभिन्न जैन संघों व सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी तथा गणमान्य लोग विशेष रूप से उपस्थित थे। राष्ट्रसंत आचार्य चंद्रानन सागर सूरीश्वर महाराज ने इस अवसर पर कहा कि साधु संतों का जीवन निस्वार्थ भावना के साथ केवल समाज के उत्थान के लिए समर्पित होता है तथा दर्शन सागर जी एक ऐसे संत थे, जो अपनी अंतिम सांस तक प्राणी मात्र के कल्याण के लिए समर्पित रहे। उन्होंने कहा कि सागर समुदाय के गच्छाधिपति के रूप