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परिवार में ना करें बुजुर्गों की अनदेखी

घर में बुजुर्गों के होने से नए-नए अनुभवों के साथ ही काफी कुछ नया सीखने को भी मिलता रहता है। बड़े-बड़े फैसलों को लेने से लेकर छोटी-छोटी चीजें खरीदने तक में इनकी समझ-बूझ बहुत फायदे की साबित होती है लेकिन समय गुजरने के साथ ही ज्यादातर परिवारों में इनकी अनदेखी होने लगती है, जो उनके लिए तनाव और परेशानियों का कारण बनने लगती है। घर के बुजुर्ग बिल्कुल घर में पैदा हुए बच्चे के समान होते हैं इसलिए उनके साथ भी वैसा ही बर्ताव अपनाएं जैसा बच्चों के साथ। कोशिश करें कि उनकी इस खुशी को हमेशा बरकरार रखें बिना किसी स्पेशल, नेशनल और इंटरनेशनल डे के।

ख्याल रखना:
परिवार में बुजुर्ग बीमार है, तब उनका ध्यान अपने छोटे बच्चे की तरह रखें। कई बातें वो हिचकिचाहट के कारण बोल नही पाते तो उन्हें समझने और शांति से समझाने की कोशिश करें। बिजी शेड्यूल से थोड़ा वक्त निकालकर उनकी केयर करें क्योंकि इस वक्त उन्हें सबसे ज्यादा आपकी जरूरत होती है। उस दौर का हमेशा याद रखें जब पेरेंट्स आपकी बिना कही बातों को भी बड़ी आसानी से समझ लेते थे।

जरूरत को समझें:
घर में अगर कोई बूढ़ा व्यक्ति है तो उसे ऐसा कमरा दे सकते हैं, जहां से वो आपके नजदीक हों। अगर ऐसा संभव नही तो उन्हें कॉर्डलेस बेल दें जिससे जरूरत पड़ने पर वे आपको बुला सकें। सीढ़ियों वाले कमरे से उन्हें उतरने-चढ़ने में परेशानी हो सकती है। बुढ़ापे में ज्यादातर लोग जोड़ों की समस्या से परेशान होते हैं इसलिए इसका खास ध्यान रखना चाहिए।

अनदेखी न करें: उनके दर्द और बातों की यह कहकर अनदेखी न करें कि इस उम्र में कुछ न कुछ परेशानी तो रहेगी ही। हम सभी को इस अवस्था से गुजरना है इसलिए उनकी तकलीफ को समझें और जिस तरह के भी ट्रीटमेंट की जरूरत हो उसे कराएं। समय-समय पर उनका हेल्थ चेकअप कराते रहें, जिससे कोई परेशानी आगे न बढ़ने पाएं। अगर आप बिजी हैं तो घर में उनकी देखभाल के लिए किसी को जरूर रखें।

अकेलापन न महसूस हो:
अब जब वे खुद बाहर नही जा सकते तो उनके अकेलेपन का अंदाजा लगाएं। उनसे ऐसी बातें करें जिनसे उन्हें अच्छा महसूस हो। उनके साथ वक्त बिताएं। कभी उनकी पसंद का खाना बनाएं तो कभी बाहर घुमाने ले जाएं। इससे रिलेशनशिप में प्यार और रिस्पेक्ट बना रहेगा।

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अब जीवनसाथी भी ऑनलाइन
कहावत है कि रिश्ते स्वर्ग में बनते हैं लेकिन आज के ऑनलाइन युग में इंटरनेट भी इन रिश्तों को बनाने का माध्यम बनता जा रहा है। आज के इंटरनेट युग में सब कुछ हाईटेक हो गया है, शादी भी। अब तो बस एक क्लिक पर ही हजारों ऑप्शन सामने आ जाते हैं। इसके लिए आपको मैट्रिमोनियल साइट्स पर खुद को रजिस्टर करना पड़ेगा जो कि फ्री और पेड दोनों कैटेगरीज में होता है। इन साइट्स पर हर उम्र, धर्म, जाति के अलावा एजुकेशन और व्यावसायिक क्षेत्र के आधार पर भी वर-वधू सर्च कर सकते हैं लेकिन ऑनलाइन जीवनसाथी की तलाश में सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है।
ये हैं फायदे:
आपकी पंसद: ऑनलाइन मैट्रिमनी का सबसे बड़ा फायदा यही है कि आपको आपकी पसंद का जीवनसाथी मिलता है। इसमें समझौते की स्थिति नही बनती।
दबाव मुक्त: ऑनलाइन मैट्रिमनी के जरिए बन रहे रिश्ते बंधन मुक्त होते हैं। मतलब कि आप बिना मां-बाप की दखलअंदाजी के अपने दिलो-दिमाग से अपनी जिंदगी का फैसला कर सकते हैं।
ऑप्शन और रिजैक्शन: यहां जीवनसाथी चुनने के एक-दो नही बल्कि ढेर सारे ऑप्शन होते हैं। साथ ही रिजैक्शन पर भी कोई असर नही पड़ता। वरना अक्सर ऐसे मामलों में लड़के/लड़की का आत्मविश्वास कमजोर पड़ जाता है और साथ ही उनमें हीनभावना भी आ जाती है।
समान धर्म-जाति: कई बार लोगों को अपनी धर्म-जाति में अच्छे रिश्ते नही मिल पाते लेकिन मैट्रिमोनियल साइट्स पर आपको समान धर्म-जाति के अनेक प्रोफाइल आसानी मिल जाएंगे।
समय की बचत: शादी-ब्याह की जब बात चलती हैं तो परिवार वालों के समय और धन दोनों का बरबादी होती है। इस सब चीजों को देखते हुए ऑनलाइन मैट्रिमनी किफायती होने के साथ-साथ समय की बचत भी करता है।
नुकसान भी हैं: फेक प्रोफाइल सोशल मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार इन वेबसाइट्स पर लाखों फेक प्रोफाइल्स भी होते हैं, जिसमें लोग अपने-आप को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं। इसमें ज्यादातर फ्रॉड एनआरआई प्रोफाइल्स के जरिए होते हैं। अगर सावधानी न बरती गई तो आपका भविष्य अंधकारमय हो सकता है।
बरतें सावधानी:
चयन की प्रक्रिया में दोनों परिवार शामिल हों।
निजी तौर पर भी दोनों पक्ष छानबीन कर ले।
वेबसाइट पर दी गई जानकारी को सौ फीसदी सच ना माने।
शादी के मामले में सिर्फ फोटो देखकर जल्दबाजी में कोई फैसला ना ले।
किसी की प्रोफाइल पसंद आ भी जाये तो तुरंत सम्पर्क स्थापित ना करे।
हाँ कहने से पहले गूगल, फेसबुक लिंकडीन आदि के साथ आस-पड़ोस से जानकारी जरुर ले।

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रिश्तों को मजबूत बनाते हैं कुछ झूठ

हर रिश्ते की बुनियाद भरोसे पर बनती है। किसी भी रिश्ते को आगे बढाने और मजबूत करने के लिए विश्वास होना बहुत जरूरी है। यदि आप किसी के साथ रिश्ते में ईमानदार और उसके प्रति सच्चे हो और आप कई ऐसी गलतियां कर जाते है जिससे आपको झूठ बोलना पडता है। यह झूठ किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नही बल्कि उस परिस्थिति को संभालने के लिए बोलना पड़ता है। थोड़ा झूठ भी रिश्ते के लिए फायदेमंद होता है लेकिन ये झूठ नमक की तरह स्वादानुसार ही होने चाहिए।
बहस और झगड़े हर रिश्ते में होते हैं लेकिन बात हद से आगे निकल जाए तो हार मान लेना ही बेहतर होता है। भले ही आपके तरकश में अपने पार्टनर की बात के खिलाफ कितने तर्क के तीर हों, कभी-कभी 'तुम सही हो' कह देना ज्यादा आसान होता है।
कई बार दफ्तर या बाहर की छोटी-मोटी समस्याएं आपको परेशान करती हैं। आप परेशान होंगे तो जाहिर है आपका पार्टनर भी परेशान होगा। इसलिए जरूरी है कि कभी-कभी उनके सामने हल्की मुस्कान के साथ कह दिया जाए- मैं ठीक हूं। बस इस बात का ध्यान रखें कि हर बात उनसे न छुपाएं, आखिर दुख साझा करना भी प्यार का ही हिस्सा है।
मैं कैसी लग रही हूं या लग रहा हूं... शायद इस सवाल का सामना हर लड़के और लड़की को कभी न कभी करना ही पड़ता है। ऐसे सवालों को जवाब देते वक्त जरूरी नहीं कि ऑनेस्टी ही बेस्ट पॉलिसी हो। बाद में भले ही आप पार्टनर को बताएं कि दरअसल आपको वह किस लुक या ड्रेस में अच्छे लगते हैं।
माना कि आप अपने पार्टनर से सबसे ज्यादा प्यार करते हैं लेकिन कभी-कभी कोई उनसे ज्यादा जरूरी होती है। विराट की सेंचुरी पास हो तो पार्टनर से ज्यादा ध्यान टीवी पर ही रहता है। लेकिन इस बात का एहसास उन्हें न होने दें। इसके लिए समय-समय पर 'मैं तुमसे सबसे ज्यादा प्यार करता हूं' दोहराते रहिए। वैसे भी है तो यह सच ही न!
हर शख्स के कुछ अपने सपने होते हैं। हो सकता हो आपके पार्टनर को पेंटर बनने का शौक हो, भले ही उनकी हर पेंटिंग आपको मॉडर्न आर्ट की नई परिभाषा बताती हो, या उन्हें एक्जॉटिक खाना बनाने का शौक हो और आप का पेट उनकी प्रयोगशाला हो। उनके इस जुनून को समझना और सपोर्ट करना आपका काम है। इसलिए उनके उत्साह को ठंडा न पड़ने दीजिए।-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
सुखी रहना है तो स्मार्टफोन से ना होने दें शक की एंट्री


ऐसे लोगों की कमी नही है जो स्मार्टफोन पर अपने पार्टनर के इनवौल्वमैंट से चिढ़ते हैं और उनकी चिढ़ नफरत और शक में तबदील हो जाती है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके ईगो को बहुत ठेस पहुंचती है, जब उनका पार्टनर उनके मैसेजेस या चैट पढ़ता है। स्मार्टफोन का इस्तेमाल हर तबके के लोग कर रहे हैं, मगर स्मार्टफोन ने सबसे अधिक प्रभाव पढ़े-लिखे वर्ग के लोगों की जिंदगी पर डाला है। आज की पीढ़ी, जो ज्यादा पढ़ी-लिखी और समझदार है, मात्र एक छोटे-से स्मार्टफोन के चलते रिश्तों की गंभीरता और सम्मान को दरकिनार कर बेवकूफी की सारी सीमाएं पार कर रही है। यह वर्ग अब वर्चुअल वल्र्ड को ही एक्चुअल वल्र्ड समझने लगा है, जबकि वास्तविक जीवन की हर जरूरत को स्मार्टफोन के जरिए पूरा नही किया जा सकता।
रिश्ते में शक: स्मार्टफोन ने मनुष्य के कई काम आसान बना दिए हैं लेकिन दूसरी तरफ मनुष्य के सोचने के दायरे को छोटा कर दिया है। यदि कोई महिला पति के आगे अपने स्मार्टफोन में व्यस्त है तो पति को यह बात नही पचती। उसके मन ही मन १०० विचार कौंध जाते हैं। अतिसंवेदनशील स्थिति में पति अपनी पत्नी के चरित्र पर भी शक करने लगता है। यही स्थिति महिलाओं के साथ भी है, पति का स्मार्टफोन उन्हें अपनी सौतन के समान लगता है। हर संबंधों में पारदर्शिता जरूरी है लेकिन प्राइवेसी खोने के मूल्य पर नही। शक रिश्ते को खोखला बना देता है। यदि पार्टनर कहे कि वो १० मिनट अकेले बैठना चाहता है तो इसका मतलब यह नही कि उस १० मिनट अकेले बैठकर वो आपसे कुछ छुपा रहा है। प्राइवेसी की अलग-अलग लोगों की अलग-अलग परिभाषाएं हो सकती हैं, इसे शक की नजर से देखना अकलमंदी नही।
पासवर्ड शेयरिंग: पुरानी मानसिकताओं के अनुसार शादी एक ऐसा बंधन है जिसमें पति-पत्नी को एक-दूसरे से सब कुछ शेयर करना चाहिए। इस मानसिकता को आधुनिक जोड़े स्मार्टफोन पर भी थोपने लगे हैं। कई बार कुछ लोग इस बात के लिए मजबूर करते हैं कि वो अपने फोन का पासर्वड बता दे। कोई बात कैसे भी पता चल जाए इसके पीछे न पड़े। यह पार्टनर को चिड़चिड़ा बना देता है और फिर इस चिड़चिड़ाहट से बचने के लिए पार्टनर बाते छुपाने लगता है।
शक तो एक बीमारी होती है। किसी सही सामग्री को भी शक की नजर से देखा जाए तो उसमें भी खामिया निकाली जा सकती हैं इसलिए अपने साथी पर शक न करें, इससे रिश्ते में दरार पड़ जाती है। यदि कोई बात परेशान कर रही हो तो हलके अंदाज में पार्टनर से पूछ लें।

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